कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Thursday, May 11, 2017

लघु प्रेम कथा


ए लड़की !
भूल गई वो धूल धूसरित गाँव की पगडंडियों सा घुमावदार रास्ता जो खेतों के मेड़ से गुजरता था, गाँव का वो खपरैल वाला मिडिल स्कूल, जिसकी पिछली खिड़की टूटी थी, स्कूल के पास वाला शिवाला, शिवाले में बजता घंटा, पंडित जी और फिर शिवाले के पीछे का बगीचा.......यही गर्मी की छुट्टी से पहले के दिन थे, खूब गरम हवाएं बहती थी, और उन हवाओं में सुकून व ठंडक के क्षण के लिए बस्ते को स्कूल में बैंच पर छोड़ कर बगीचा और तुम जैसी बेवकूफ का साथ जरुरी होता था | आखिर पढ़ाई उन दिनों कहाँ अहमियत रखा करती थी |
तभी तो उस खास दिन भी, बगीचे से आम नहीं अमरूद तोड़ने चढ़ा था डरते कांपते हुए । तुम्हारी बकलोली, बेवकूफी या मुझे परेशान करने की आदत, या फिर बात बात में मेरी दिलेरी की परीक्षा जो लेनी होती थी तुम्हे| जबकि बातें आम थी कि मैं एक परले दर्जे का कमजोर दिल वाला व सिंगल कलेजे वाला शख्स हुआ करता था|
तुम्हे वो दूर जो सबसे ऊपर फुनगी पर हरा वाला कच्चा अमरूद है, वही चाहिए थे, तुमने कहा था पके अमरुद में बेकार स्वाद होता है, थोडा कच्चा वाला लाकर दो चुपचाप ..... उफ़्फ़ वो बचपन भी अजीब था, पेंट ढीले होते थे या कभी कभी उसके बकल टूटे हुए, जैसे तैसे बंधे हुए, उस ढीले हाफपेंट से पेड़ पर ऊपर चढ़ना, हिमालय पर जाने जैसा था| पेड़ को पकड़ूँ या पेंट, इसी उधेड़बुन में कब ऊपर तक पहुंचा ये तक पता नहीं |
आखिर "उम्मीद" - वर्षों से दहलीज पर खड़ी वो मुस्कान है जो मेरे कानों में वक्त-बेवक्त धीरे से फुसफुसाती है - 'सब अच्छा ही होगा' | पर जरुरी थोड़ी है, सब अच्छा ही हो, हर मेरी बेवकूफियों पर भी |
इसलिए तो, जैसे तैसे अमरूद तोड़ा तो ऐसे लगा जैसे एवेरेस्ट के ऊपर से तेनजिंग नोर्के बता रहा हो, मैंने फतह कर ली है, तभी टूटे अमरुद के साथ ही मैं भी टूटे फल की तरह गिरा धड़ाम !!! उफ़ उफ़ उफ़ !!
आखिर अमरुद की बेचारी मरियल टहनी मेरा भार कब तक सहती ...
पर तुम तो हेरोइन व्यस्त थी, अमरूद कुतरने में और मैं घुटने के छिलने के दर्द को सहमते हुए सहने की कोशिश ही कर रहा था, कि तभी नजर पड़ी, ओये मेरी तो हाफ पेंट भी फट गई थी, हाथो से बना कर एक ओट और फिर दहाड़ें मारने लगा और तुम, तुम्हे क्या बस खिलखिला कर हँस दी !! .
बचपन का प्यार ........हवा हो चुका था.....
तीन दिन तक हमने बातें नहीं की फिर एक मोर्टन टॉफ़ी पर मान भी गए, बस इतना ही याद आ रहा ..... :)
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स्मृतियों के झरोखे से कुछ प्यारे कतरनें <3

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