कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Monday, September 21, 2015

बड़ी गंभीर सी सोच मैंने आम हिन्दुओं में  देखी है जिसमे मैं भी शामिल हूँ शायद !!

हम अपने को, अपने कौम  को सबसे बड़ा  राष्ट्रभक्त समझते हैं, बेशक हम कुछ भी करें....... गलती करेंगे तो सजा पाएंगे,  न्याय व्यवस्था है यानि कि एक  सच्ची सोच  है अपने लिए  !!

इससे  भी  अच्छी बात तब होती है कि जो भी भारतीय मुस्लिम नाम कमाता हुआ बड़ा चेहरा नजर आता है  उसमे  भी हम हिन्दू  छवि  देखते हैं, उसमे अपने बिरादरी सी फीलिंग  आती है, तभी  तो आज कलाम साहब सबसे बड़े  राष्ट्र भक्त नजर आते हैं, और ये सच भी  है !! यहाँ  तक  कि सानिया मिर्जा पर सिर्फ  इस  बात  पर गुस्सा आता  है कि उसने पाकिस्तानी से  शादी  की, वो बढ़िया खेलती है इसलिए खेल  रत्न देते हैं, उसके विजय  पर खुशियाँ  मनाते हैं, नियम के  अनुसार  उसमे हमें  पाकिस्तानी नजर आना चाहिए पर नहीं....... हम सहिष्णु हिन्दू भारतीय  हैं,  हमें मिल  कर  रहना आता है !! सलमान "बीइंग ह्यूमन" हमारे  लिए  हर  समय रहेगा !! उसमे हम हर  समय बजरंगवली तक देख लेंगे !!

पर फिर  दिक्कत कहाँ हैं ?
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दिक्कत हमें आम गरीब या साधारण जीवन जीने वाले मुस्लिमों से होने लगती है, उसमे पाकिस्तान देखने लगते हैं !! तब ये नहीं हम सोच पाते  ये  भी भारतीय हैं, गलती  करेंगे  तो न्याय व्यवस्था के तहत अन्दर ये  भी जायेंगे !! एक गलत के  कारण पुरे कौम को कोसने से क्या मिलेगा !!

एक कतरन मेरे साझा संग्रह के विमोचन की

Monday, September 7, 2015

बलजीत कौर के शब्दों में हमिंग बर्ड

बलजीत कौर के हाथों हमिंग बर्ड 


एक चिट्ठी अपने मित्र के नाम

       दोस्त तुम्हारी किताब 'हमिंग बर्ड 'मेरे हाथ में 50 दिन पहले आई थी उसी शाम ख़ुशी से उसे हाथ में लेकर पढ़ने भी बैठ गयी लेकिन दूसरे ही पेज पर

"
दीदी-नीटू : लड़ते प्यार करते ,साथ छोड़ गए"

       पंक्तियों को पढ़ते ही आँखों से अविरल अश्रु धारा बह निकली ,क्योकि इस से 15 दिन पूर्व हमने अपना नन्हा बच्चों जैसा देवर खोया था| बस फिर क्या था किताब सिरहाने रख दी |

      उसके बाद रोज़ उस किताब को उठाती लेकिन खोलने की हिम्मत न जुटा पाती|
कभी कभी ज़िंदादिल दिखने वाला इंसान भी दर्द से भीतर से खोखला हो चुका होता है| खैर कल हिम्मत करके इस किताब को उठाया और फिर तो रात तक पूरी ही पढ़ डाली | दोस्त तुम्हारे 5 मिलीग्राम के छोटे से मन ने मन भर वजन की रचनाएँ लिख डाली|
चालीस की उम्र की बात हो या बिटिया की बात,हर रचना दिल को छु गयी|
इसी तरह मनोभावों को लिखते रहो ये ही मेरी शुभकामना है|

और हाँ आज तुम्हारा जन्मदिन भी है मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करो

- बलजीत कौर 
कंचन गुप्ता, मुंबई के हाथों हमिंग बर्ड 

Thursday, September 3, 2015

वसुंधरा पाण्डेय के शब्दों में हमिंग बर्ड




इधर पांच महीनो में बहुत सी किताबें अनगिन पत्र पत्रिकाएं इकट्ठी हैं / कुछ पारिवारिक समस्याओं की वजह से पढ़ नही सकी / अभी कल से शुरुआत की तो मन हुआ कि हमिंग बर्ड से शुरुआत करूँ.. ..

Mukesh Kumar Sinha का कविता संग्रह 'हमिंग बर्ड' जिसमे मन की छटपटाहट/मनुष्य मन के संघर्ष/ और मानवीय एहसास से लबरेज है ! और इसमें समाहित है संजीदगी / चुहल/ प्रेम और निष्ठा से भरा पूरा एक संसार !
इस पुस्तक को पढ़ना सुखद है ..क्यूंकि मेरे मन मस्तिक पर घोसला बना लिया हमिंग बर्ड ने ... 

मुकेश जी का साहित्य संसार विस्तृत हो.अनेकानेक शुभकामनाये..!