कविता संग्रह "हमिंग बर्ड"

Friday, December 30, 2016

यादें - 2016

वर्ष बीतने को है, क्या खोया क्या पाया में खोने की बात क्यों ही करें, पाया ही पाया है, स्नेह जो है, वो रहे, इत्ती सी उम्मीदों के साथ :)
अगर उपलब्धियां गिनाने के लिए वर्ष की शुरुआत पिछले दिसंबर से कर लूं, तो भी क्या फर्क पड जाएगा, खुद को खुश करने का बहाना तो चाहिए ही चाहिए :)
# दिसंबर'15 के पहले सप्ताह में दिल्ली फिल्म फेस्टिवल (DIFF) द्वारा poet of the year का अवार्ड प्राप्त करना, और ऋतुपर्णा सेन गुप्ता के साथ अवार्डी के लाइन अप में मंच शेयर करना, खुद को बेहद बेहद खुश करने वाली उपलब्धि रही !! # इसके बाद करनाल में 'प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति' द्वारा और इलाहाबाद में "करुणावती साहित्य धारा" साहित्यिक पत्रिका द्वारा प्राप्त सम्मान सहेजने लायक था | # स्वयं पर न तो भरोसा रहा, न ही जताया इसलिए 11 मार्च को YMCA University of Science & Technology के वार्षिक फेस्ट में काव्योत्सव में जूरी बनने का मौका मिलना, यादगार पल थे | # 17 सितम्बर को गूँज के तत्वाधान में 100 रचनाकारों को लेकर प्रकाशित साझा संग्रह "100कदम" का विमोचन हुआ, मेरे द्वारा सह-सम्पादित ये छठी कृति थी, याद रखना तो बनता है :) | # हम सबकी एक छोटी सी संस्था, गूँज ने विश्व पुस्तक मेले में भी एक कविता गोष्ठी का आयोजन लेखक मंच पर किया ! गूँज व्हाट्स एप ग्रुप, फेसबुक पेज, ट्विटर हैंडल, और फेसबुक ग्रुप के माध्यम से आप सबके बीच है, साथ ही कोशिश रहती है, कि हम सबकी भी छोटीमोटी पहचान बने | # प्रकाशन की बात करें, तो लखनऊ से प्रकाशित कथाक्रम, फिर दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण और हिन्दुस्तान के पटना संस्करण में कविता का प्रकाशन खुद में छोटे मोटे कॉन्फिडेंस लाने के लिए बढ़िया था !! # साथ ही, 'अभिनव मीमांसा', लोकजंग, शिखर विजय के दीपोत्सव विशेषांक, हस्ताक्षर, नव-अनवरत, INVC में प्रकाशन भी यादगार रहे, और हाँ "लफ्जों में परे" साझा संग्रह में शामिल होना भी ख़ुशी दे गया |
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बस खुशियों के बहानों की यही है मेरी कतरन, मेरे औकात से ज्यादा :) :D :) *अंतिम बात, स्वयं के कविता संग्रह हमिंगबर्ड का नाम भर सुनने से अभी भी सबसे अधिक ख़ुशी होती है :)